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जाने कब हरियाली आयी, जाने कब फूल खिला
काम करते करते समय बीट गया और जवानी का सूरज ढल गया
बोलो मानव, इस प्रकार तुमने क्या पाया
पैसो की लालच मैं तुमने क्या क्या गुल खिलाये,
खुद तो खून के आँसू पीही गये,साथ मैं दूसरों को भी पिलाए
दिल की कई तमन्ना दिल ही दिल मैं रह गयी
मन की आशा आँसू मैं बह गयी
अब बुढ़ापा ही एक साथी तुम्हारा, जो साथ तुम्हारा निभाए
तुम चाहो तो भी यह तुम्हे छोड़ के न जाए
इसीलिए तो ए मानव अपनी नींदसे तू जाग
देख अपने आस पास, न कर अपनी जवानी का त्याग
पैसों का लालच छोड़ दे, जीवन का शहद चख
अपने मन को साफ और दिल मैं पवित्रता रख
तभी मिलेगा सुख तुझे, जिसके लिए तूने तपस्या की
तभी मितेगी प्यास तेरी, जब देखेगा जीवन की हरियाली